आईपीएल में आज गुजरात और कोलकाता के बीच खेले गए मैच में जिस तरह से रिंकू सिंह ने चमत्कारिक रूप से पांच गेंदों में लगातार पांच छक्के लगाकर अपनी टीम को हारा हुआ मैच जितवाया, उसके बाद से तो चारों तरफ उनकी ही चर्चा हो रही है।
रिंकू सिंह ने खेली सुपरमैन वाली पारी

आईपीएल 2023 का 9वा मैच आज गुजरात टाइटंस और कोलकाता नाइटराइडर्स के बीच खेला गया, जहां गुजरात टाइटंस ने पहले खेलते हुए शुबमन गिल (39) साईं सुदर्शन (53) और विजय शंकर (63) की आतिशी पारियों की मदद से 4 विकेट पर 204 बनाए।
जिसके जवाब में कोलकाता ने 7 विकेट खोकर विजयी लक्ष्य हासिल कर लिया। हालांकि कोलकाता यह मैच पूरी तरह हार चुकी थी, लेकिन कोलकाता ने अंतिम ओवर में जरूरी 29 रन बनाकर मैच अपने नाम कर लिया।
मैच का रोमांच तक आया जब रिंकू सिंह ने आखिरी ओवर में जरूरी 29 रन बना कर केकेआर को जीत दिला दी। अंतिम ओवर में रिंकू सिंह ने जिस तरह से आखिरी ओवर की पांच गेंदों पर लगातार पांच छक्के लगाए, उन्होंने नरेंद्र मोदी स्टेडियम पर मैच देखने आए दर्शकों का मन मोह लिया।
लेकिन आज वह जिस सफलता की राह पर है, उनका अतीत वैसा नही था। आइए जानते है, रिंकू सिंह के अतीत के बारे में, जहां उन्होंने गरीबी और आर्थिक तंगी के दर्द को झेला है।
कैसा था रिंकू सिंह का बचपन?
रिंकू सिंह का जन्म भारत के उत्तर प्रदेश के शहर अलीगढ़ में हुआ था और उनका जन्म 12 अक्टूबर 1997 को हुआ था। रिंकू का परिवार काफी बड़ा था, उनके परिवार में उनके और उनके माता–पिता सहित कुल सात सदस्य थे। रिंकू का पूरा परिवार अलीगढ़ में 2 कमरों के मकान में रहा करता था।

रिंकू का बचपन काफी मुश्किलों से गुजरा, एक बहन समेत पांच भाई-बहनों में रिंकू तीसरे नंबर के है। उनके पिता गैस सिलेंडर की डिलीवरी करने का काम करते थे, जिससे उनके परिवार का खर्चा बड़ी मुश्किल से चल पाता था। रिंकू ने कई बार पैसो की तंगी के कारण साफ–सफाई का काम तक किया है।
एक इंटरव्यू के दौरान रिंकू बताते है की एक बार उन्हे सफाई कर्मचारी का काम करने को मिला, जहां उन्हें एक कोचिंग सेंटर में झाड़ू–पोछा लगाना था, इस बात से उन्हे काफी निराश हुई। उन्होंने साफ कह दिया की वह ऐसा कोई काम नही करेंगे और सिर्फ क्रिकेट में ही अपना करियर बनाएंगे। तभी उन्होंने दृढ़ निश्चय किया था की चाहे कुछ भी हो जाए वह अपने सपने को पूरा जरूर करेंगे।
उसके बाद उन्होंने कक्षा 9 ड्रॉपआउट करके क्रिकेट में अपने सपने को पूरा करने के लिए जी–जान से मेहनत करने लगे और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
रिंकू अक्सर अपने घर के पास के मैदान में घंटों तक खेलते रहते थे। उन्होंने क्रिकेट में सफल होने की जिद पकड़ ली थी, जिसे उन्हे किसी भी हाल में पूरा करना था, अब कोई भी बाधा उन्हे रोक नहीं सकती थी।
रिंकू सिंह के क्रिकेट करियर की शुरुआत
जैसे-जैसे रिंकू बड़े होते गए, वह छोटे मोटे टूर्नामेंट में खेलने जाने लगे। धीरे धीरे उनकी प्रसिद्धि बढ़ने लगी, उनकी प्रतिभा ने जल्दी ही क्रिकेट के बड़े कोचों और स्काउट्स का ध्यान आकर्षित करना शुरू कर दिया। एक बार क्रिकेट के कोच मसूद-उज-जफर अमिनी ने उन्हें खेलते हुए देखा और वह रिंकू के कलात्मक शॉट देख कर काफी आश्चर्यचकित हुए। उन्होंने तुरंत ही रिंकू को कोचिंग देने का फैसला किया और उन्हें अपने क्रिकेट क्लब में रख लिया।
इस तरह उनकी क्रिकेट की यात्रा कोच मसूद-उज-जफर अमिनी के निगरानी में शुरू हुई, जो उनकी “स्वाभाविक स्ट्रोक बनाने की क्षमता” से काफी प्रभावित थे और इसलिए उन्होंने रिंकू की इस प्रतिभा को निखारने करने के लिए काफी जम कर मेहनत शुरू कर दी।
रिंकू ने 2012 में यूपी अंडर -16 में पदार्पण किया और फिर अंडर -19 के लिए भी अपनी जगह बनाई, जब पूर्व क्रिकेटर ज्ञानेंद्र पांडे चयनकर्ता थे।
एक इंटरव्यू के दौरान श्री पांडे जी ने बताया था “मैं उन्हें तब से जानता हूं जब मैं अंडर -19 चयनकर्ता था। हमने उन्हें जूनियर टीम में जगह दी और उन्होंने हमें निराश नहीं किया। रिंकू के लिए श्री ज्ञानेंद्र जी ने कहा था की “वह एक स्व-निर्मित क्रिकेटर हैं।”
2020-21 विजय हजारे ट्रॉफी के दौरान की बात करते हुए उन्होंने बताया की जब वह कोच थे, तब रिंकू ने क्रिकेट की अपनी असली भूख दिखाई। पांडे ने कहा, “उन्होंने कर्नाटक के खिलाफ नाबाद 62 रन बनाए थे।
स्थानीय क्रिकेट में भी जीते है कई इनाम
रिंकू ने कई स्थानीय क्रिकेट टूर्नामेंट में भाग लिया और कई इनाम भी जीते। एक बार उन्होंने दिल्ली के एक टूर्नामेंट में प्लेयर ऑफ द सीरीज के रूप की मोटरसाइकिल भी जीता, जिसे उन्होंने अपने पिता को गिफ्ट की। जल्दी ही रिंकू को एक कुशल बल्लेबाज के रूप में जाना जाने लगा और उनका सिलेक्शन उत्तर प्रदेश की क्रिकेट टीम में हो गया।
2013 में रिंकू सिंह को उत्तर प्रदेश क्रिकेट टीम के लिए खेलने के लिए चुना गया और उन्होंने जल्दी ही मैदान पर अपनी योग्यता साबित कर दी। उनके दमदार प्रदर्शन के दम पर इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की टीम कोलकाता नाइट राइडर्स की नज़र पड़ी और उन्हें 2017 सीज़न में उन्हे खेलने के लिए अनुबंधित किया गया।
रिंकू सिंह का आईपीएल में डेब्यू सपने के सच होने जैसा था। उन्होंने हजारों प्रशंसकों के सामने मैदान पर कदम रखा और अपने कौशल का प्रदर्शन किया, रन बनाए और क्रिकेट की दुनिया में एक उभरते हुए सितारे के रूप में अपना नाम बनाया।
रिंकू सिंह के पिता है गरीब मजदूर

रिंकू सिंह के पिता खानचंद्र सिंह अलीगढ़ में अलीगढ़ स्टेडियम के नजदीक एलपीजी गैस वितरण कंपनी में कार्य करते है। इसी गैस भंडारण के परिसर में मौजूद दो कमरों में उनका पूरा परिवार रहता था और यहीं रिंकू सिंह का बचपन बीता है।
निष्कर्ष
रास्ते में कई असफलताओं और चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, रिंकू अपने खेल के प्रति समर्पित रहे और समय समय पर अपने खेल में सुधार करते रहे। उन्होंने गेंदबाजी में। ही हाथ आजमाया, साथ ही अपने कौशल को बेहतर बनाने के लिए अथक परिश्रम किया, हमेशा खुद को सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए प्रेरित किया।
आज रिंकू आईपीएल के सबसे होनहार युवा खिलाड़ियों में से एक हैं और वह अभी कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए खेल रहे है। उनके इस तरह की पावर हिटिंग के कारण, उनके प्रशंसक और टीम के साथी समान रूप से उनकी प्रतिभा और समर्पण के कायल हैं।
अपनी सफलता के बावजूद, रिंकू विनम्र और जमीन से जुड़े हुए है, अपनी जड़ों को या उस कड़ी मेहनत को कभी नहीं भूले है जिसने उन्हें आज यहां तक पहुंचाया है। वह हर जगह युवा खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा हैं, और उनकी कहानी कड़ी मेहनत, दृढ़ता और खेल के प्रति प्रेम की शक्ति का एक वसीयतनामा है।